जैसलमेर रो किलो
जैंसलमेर दुर्ग भारत री उत्तरी सीमा रे प्रहरी रे रूप मे खडो हैं। हैं।ओ दुर्ग भाटी राजपूतो री वीर भूमि रे रूप मे प्रसिद्ध हैं इण वास्ते ओ दोहो प्रचलित हैं।
गढ दिल्ली,गढ आगरो,अधगढ बीकानेर।
भलो चिणायो भाटियां,सिरैं तो जैंसलमेर।।
इतिहास
सर्वप्रथम अलाउद्दीन खिलजी किले पर आक्रमण कर 8 साल तक डेरो डालियो।फ़िरोजशाह तुगलक रे समय दुसरो युद्ध हुयो जिण मे कई भाटी सरदार शहीद हुया औंर वीरांगनाया जौहर करियो।तीसरे युद्ध मे भाटी राजपूत वीर गति पाई पण रानियां जौहर कोनी करियो।ओ युद्ध शरणागत अमीर अली द्वारा रावल लूणकरण रे साथे धोखाधडी रे कारण हुयो।
बनावट
इ दुर्ग ने रावल जैसल 1115 ई. मे बणवायो।ओ किलो 7 साल मे पूरो हुयो।जैंसलमेर दुर्ग त्रिकुटाकृ ति रो हैं जिण मे 99 बुर्जा हैं। इ दुर्ग ने पीले रंग रे पत्थरो पर पत्थरो ने राख र विशेष मसाले सु जोड र बणायो गियो हैं।पीले रंग रे पत्थरो रे उपयोग रे कारण धूप मे ओ किलो सोने रे समान चमके, जिका सु इने सोनगढ भी केविजे हैं।ओ दुर्ग 250 फ़ीट ऊंचो हैं जिण मे दोहरा परकोटा हैं।इण मे प्रवेश द्वार अक्षय पोल हैं जिके रे साथे सूरज पोल,गणेश पोल,औंर हवा पोल भी हैं।इण रो रंग महल औंर मोती महल जालियो झरोखो औंर आर्कषक चित्रकारी रे कारण दर्शनीय हैं। जैंसलमेर दुर्ग मे जैंन मंदिर ,बादल महल ,गज विलास,जवाहर विलास महल ,पार्शवनाथ मंदिर ,लक्ष्मी नारायण मंदिरऔंर ऋ षभदेव मंदिर भी वणियोडा हैं। किले मे ह्स्त लिखित ग्रन्थो रो सबसु बडो भंडार हैं।
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