महाराणा प्रताप रो परिचै
जन्म -9 मई 1540
पिता - महाराणा उदयसिंह
माता - जेवन्तीबाई सोनगरी
विमातायां - संध्याबाई सोलंकना, जेवंताबाई मोदडेचो, लालबाई परमार, धारबाई भटयाणी (जगमालजी री मां), गणेशदे चहुवान, वीरबाई झाली, लखांबाई राठोड, कनकबाई महेची,----खीचण।
भ्राता - शक्तिसिंह, कान्ह, जेतसिंह (जयसिंह), वीरमदेव, रायसिंह (रायमल), जगमाल, सगर, अगर, पंचारण, सीया, सुजाण, लूणकरण, महेशदास, सार्दूल, रूद्रसिंह, (इन्द्रसिंह), नेतसिंह, नगराज, सूरताण, भोजराज, गोपालदास, साहबखान।
बहिनां - हरकुंवरबाई अर 16 अन्य।
पत्नियां - अजवांदे परमार (महाराणा अमरसिंह की मां) पुरबाई सोलंकनी, चंपाबाई झाली, जसोदाबाई चहुवान, फूलबाई राठोड, सेमताबाई हाडी आसबाई खीचण, आलमदे चहुवान, अमरबाइ राठोड, लखाबाई राठोड, रतनावती परमार।
पुत्र - महाराणा अमरसिंह, सीहो, कचरो, कल्याणदास, सहसो (सहसमल), पुरी (पुरणमल), गोपाल, कल्याणदास, भगवानदास, सावलदास, दुरजणसिंह, चांदो, (चन्द्रसिंह), सुखी (सेखो) हाथी, रायसिंह, मानसिंह, नाथसिंह, रायभाण, जसवन्तसिंह।
महाराणा प्रताप उदयपुर मेवाड में शिशोदिया राजवंश रा राजा हा। अे कई साला तक मुगल सम्राट अकबर साथै संघर्ष करियो। इतिहास में इयारो नाम वीरता अर दृढ़ संकळ्प वास्ते प्रचलित है। महाराणा प्रताप रो जनम राजस्थान रे कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह अर महाराणी जीवंत कंवर रे घर में हुयो।
राणा उदयसिंह रे बाद महाराणा प्रताप मेवाड रा शासक बणिया। एक बार जद अकबर मानसिंह ने आपरो दूत बणा'र महाराणा प्रताप ने अधीनता स्वीकार करणे वास्ते भेज्यो तो महाराणा प्रताप इण प्रस्ताव ने ठुकरा दियो। बाद में वां ने कई संकटा सु गुजरणो पडियो, पण बे अकबर सु संधि नीं करी। वां मानसिंह साथे भोजन ना कर आपरे स्वाभिमान रो परिचै दियो और इणरो परिणाम 1576 रो हल्दीघाटी रो युद्ध हुयो।
इण युद्ध में राणा प्रताप और मानसिंह रो मुकाबलो हुयो। 1576 रे हल्दीघाटी रे युद्ध में महाराणा प्रताप 20,000 राजपूता ने लेर मानसिंह री 80,000 री सेना रो सामनो करियो। इण युद्ध में महाराणा प्रताप रो प्रिय घोडो चेतक मानसिंह रे हाथी रे माथे पर आपरा पैर जमा दिया और महाराणा प्रताप आपरै भाले सूं विण पर वार करियो पण मानसिंह हौद में जा'र छिप ग्यो और बच निकळियो। चेतक री टांग टूटणे सु थोडी दूरी पर ही विणरी मौत हुयगी, आ लडाई कई दिनां तक चाली। अंत में मानसिंह बिना जीतया वापस लौट ग्यो। राणा मुगला ने बहोत छकाया, जिके रे कारण वे मेवाड सु भाग निकळिया। इणरे बाद राणा ने दिकता उठाणी पडी पण वियारा मंत्री भामाशाह आपरी निजी सम्पत्ती दे'र राणा री सेना तैयार करणे में मदद करी। इण सेना रे सहयोग सूं मेवाड री खोई भूमि अकबर सूं पाछी मिलगी। फेर भी चित्तौड अर मांडलगढ बिणरे हाथ में नीं आ सकिया। विण री राजधानी चांवड नामक कस्बे में ही, जठे 1597 में महाराणा प्रताप री मौत हुई और जठे वियारे स्मारक रे रूप में एक छतरी आज भी बणियोडी है।
महाराणा प्रताप रे जीवन रा प्रमुख घटनाक्रम
अकबर द्रारा मेवाड, अजमेर, नागोर अरे जेतारण विजय
1556, 1557
कुंवर अमरसिंह रो जन्म
16 मार्च, 1559
महाराणा उदयसिंह द्वारा उदयपुर बसाणो
1559
सिरोही रे देवडा राव मानसिंह रो मेवाड में शरण लेवणो
1562
मालवा के बाजबहादुर का मेवाड में शरण लेना
1562
अकबर री आमेर सु संधि
1562
अकबर द्वारा मेडता विजय और जयमल रो चित्तौड आगमन
1562
उदयसिंह री भोमट रे राठोडा पर विजय
1563
अकबर रो जोधपुर पर आक्रमण अर विजय
1563
महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड रो त्याग
1567
अकबर द्वारा चितौड विजय
25 फरवरी, 1568
अकबर द्वारा रणथम्भौर विजय
24 मार्च, 1563
अकबर रो नागोर दरबार अर जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर रो मुगल अधीनता स्वीकार करना
5 नवम्बर सु 25 दिसम्बर, 1570
उदयसिंह री मृत्यु प्रताप अर प्रताप रो गोगूंदा में राजतिलक
28 फरवरी, 1572
मुगलदूत जलालखां कोरचे रो मेवाड आणो
अगस्त-सितम्बर 1572
कुंवर मानसिंह कछवाहा रो अकबर रे दूत री तरह मेवाड आ'र प्रताप सु मिलणो
अप्रेल, 1573
अकबर रे तीसरे दूत भगवन्तदास रो प्रताप सु मिलनो
सितम्बर-अक्टूबर, 1573
हल्दीघाटी रो युद्ध
18 जून, 1576
ईडर रा नारायणदास, सिरोही रा सुरताण, जालोर रा ताजखां, जोधपुर रा चन्द्रसेन, बूंदी रा दूदा द्वारा मुगल विरोधी कार्यवाहियां
जून-अकटूबर, 1576
प्रताप द्वारा गोगूंदा वापस लेवणो अर शाही थाणा पर आक्रमण
अगस्त-सितम्बर, 1576
मुगल सेनायां द्वारा जालोर, सिरोही, अर ईडर विजय करणो
अकटूबर, 1576
अकबर री मेवाड पर चढाई
अक्टूबर 1576
ईडर रे नारायणदास, सिरोही रे राव सुरताण री फेर मुगल विरोधी कार्यवाहियां
जनवरी-फरवरी, 1577
मुगल सेना द्वारा फेर ईडर विजय करणो
29 फरवरी, 1577
मुगल सेना द्वारा बूंदी विजय करणो
मार्च, 1577
प्रताप द्वारा मोही अर दूजा मुगल थाना पर आक्रमण अर विजय
अक्टूबर, 1577
शाहबाजखां री मेवाड पर चढाई
25 अक्टूबर, 1577
शाहबाजखां द्वारा कुम्भलगढ विजय
3 अप्रेल, 1578
प्रताप द्वारा छप्पन रे राठोडा रे विद्रोह ने दबाणो अर चावंड राजधानी बणानो
1578
भामाशाह रो मालवा पर आक्रमण अर प्रताप ने लूट रो धन भेंट करणो
1578
प्रताप री सेना रो डूंगरपुर-बांसवाडा पर आक्रमण
1578
शाहबाजखां रो दूसरो आक्रमण
15 दिसम्बर 1578
शाहबाजखां रो तीसरो आक्रमण
9 नवम्बर, 1578
प्रताप द्वारा मेवाड रे मैदानी भाग सु मुगल थाणो उठाणो और मांडलगढ़, चित्तौडगढ तक आक्रमण करणो
1580-1589
प्रताप रे मुगल सेवक भाई जगमाल रो सिरोही रे राव सुरताण रे विरूद्ध युद्ध में मारो जाणो
15, अक्टूबर, 1586
मुगल सेनापति जगन्नाथ कछवाहा री मेवाड पर चढाई
दिसम्बर, 1584
जनन्नाथ कछवाहा रो प्रताप रे निवास स्थान (चावंड) पर आक्रमण
सितम्बर, 1585
खानखाना रे परिवार रे स्त्री-बच्चा रो सादर लौटणो
1585
प्रतापगढ द्वारा मांडलगढ, चित्तौडगढ छोड'र पूरे मेवाड पर पुनर्विजय
1586
महाराणा प्रताप री चावंड में मृत्यु
19 जनवरी, 1597
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